तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतलाके,पाते हैं जग से प्रशस्ति अपना करतब दिखलाके|हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक,वीर खींचकर ही रहते हैं इतिहासों में लीक

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