रख लेता शहर को अपनी जेब में
अगर तेरी वफा बेवफा ना होती
er kasz
रख लेता शहर को अपनी जेब में
अगर तेरी वफा बेवफा ना होती
er kasz
दोस्ती और दुश्मनी मजेदार हैं बस निभाने का दम होना चाहिए !! Er kasz
कैसे भुला दूँ उसको मैं..
मौत इंसानों को आती है यादो को नहीं...
कैसे लिखु तेरा नाम बेवफा ये कलम भी
तो तेरे नाम की दीवानी है
झूठ बोलता होगा कभी चाँद भी
इसलिए तो रुठकर तारे टूट जाते हैं
और भी बनती लकीरें दर्द की
शुक्र है खुदा तेरा जो हाथ छोटे दिए
अब शिकवा क्या करना उनकी बेरुखी का...
अब दिल ही तो था भर गया होगा.
चोट लगी तो खून लाल ही निकला
सोचा था सबकी तरह ये भी बदल गया होगा
निकाल दे दिल से ख्याल उसका
यादें किसी की तकदीर नहीं बदला करती |
मैं कोई छोटी सी कहानी नहीं था
बस पन्ने ही जल्दी पलट दिए तुम नें
माना कि जीत की आदत है मग़र
रिश्तों में हार जाना बेहतर होता है
er kasz
हमे जब नींद आएगी तो इस कदर सोएंगे के लोग रोएंगे हमे जगाने के लिए…!!
कही आदत ना हो जाये जिंदगी की,
इसलिए! रोज़ रोज़ थोड़ा थोड़ा मरते है हम...!!
हमने तो आंसूओं की रो रो झड़ी लगाई
उस बेवफा ने घुमकर छाता लगा लिया
कहाँ से लाएं हर रोज़ एक नया दिल
तोड़ने वालों ने तो तमाशा बना रखा है.!!!