बचपन की दोस्ती थी बचपन का प्यार था
तू भूल गया तो क्या तू मेरे बचपन का यार था
बचपन की दोस्ती थी बचपन का प्यार था
तू भूल गया तो क्या तू मेरे बचपन का यार था
सागर को छुआ तो लहरो की याद आई
आसमा को छुआ तो तारो की याद आई
काँटो को छुआ तो फूलो की याद आई
मोबाइल को छुआ तो अपने गृप के दोस्तो की याद आ गइ
तेरा घमंड तो चार दिन का है पगली,
हमारी बादशाही तो खानदानी है
बेवफा उन्हें कहते है जो प्यार करके भूल जाते है
दोस्त उन्हें कहते ह जो दूर रहकर भी याद आते है
यारो बडी अजीब है ये मोहब्बत वरना
अभी मेरी उम्र ही क्या है जो शायरी करनी पड़ी
दिल भी आज मुझे ये कह कर डरा रहा है
करो याद उसे वरना मै भी धडकना छोड़ दूंगा
Er kasz
नफ़रत भी हम हैसीयत देख के करते हैं
फिर प्यार तो बहुत दूर की बात है
Er kasz
पागल नहीं थे हम जो तेरी हर बात मानते थे
बस तेरी खुशी से ज्यादा कुछ अच्छा ही नही लगता था
Er kasz
जिन्दगी की उलझनों ने कम कर दी हमारी शरारते
और लोग समझते हैं कि हम समझदार हो गये
er kasz
ना पीने की हजार वजहे है मेरे पास ।
और पीने का सिर्फ एक बहाना हो तुम
सारा ही शहर उस के जनाजे में था शरीक
तन्हायों के खौफ से जो शख्स मर गया
Er kasz
मौत भी अजीब चीज़ है
1 दिन मरने के लिये साली पूरी ज़िन्दगी जीनी पड़ती है
er kasz
तुम बदले तो मज़बूरिया थी
हम बदले तो बेवफा हो गए
Er kasz
चंपा के दस फुल चमेली की एक कली
मुरख की सारी रात चतुर की एक घडी
Er kasz
दावे दोस्ती के मुझे नहीं आते यारो
एक जान है जब दिल चाहें मांग लेना