पूरी दुनिया मज़हबी नफरतो में जल रही है
फिर भी ना जाने ठण्ड क्यों इतनी पड़ रही है
er kasz

काश ... उनको कभी फुर्सत में ये ख़याल
आए...
कि कोई याद करता है उन्हें जिंदगी समझकर....._____ er kasz

जख्म तलवार के गहरे भी हो तो मिट जाते हैं
लफ्ज तो दिल में उतर जाते हैं भालों की तरह
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मुझे तो ‪single‬ रहने में भी कोई दिक्कत नही
ये तो ‪दोस्तों‬ की जिद है की तुमहे ‪भाभी‬ जी कहने की

सुना है खुदा के दरबार से कुछ फ़रिश्ते फरार हो गए
कुछ तो वापस चले गए और कुछ हमारे यार हो गए
Er kasz

बड़ी अजीब सी बादशाही है दोस्तों के प्यार में
ना उन्होंने कभी कैद में रखा न हम कभी फरार हो पाए

ए सुदामा मुझे भी सिखा दें कोई हुनर तेरे जैसा
मुझे भी मिल जायेगा फिर कोई दोस्त कृष्ण जैसा
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मुझे नही पता कि मैं एक बेहतर दोस्त हूँ या नही
लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि
जिनके साथ मेरी दोस्ती है वे मुझसे बहुत बेहतरीन हैं

भले ही अपने जीगरी दोस्त कम हैं
पर जीतने भी है परमाणु बम हैं

कल भी हम तेरे थे आज भी हम तेरे हे
बस फक्र इतना है पहले अपनापन था अब अकेला पन हे
Er kasz

मुझे कुछ नहीं कहना बस इतनी गुज़ारिश है
मुझे तुम उतने ही मिल जाओ जितने याद आते हो
Er kasz

नही हो सकती ये महौब्बत तेरे सिवा किसी और से
बस इतनी सी ही बात है समजते क्यों नही
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इंसान खुद की नजरों में सही होना चाहिये
बाकी दुनिया तो भगवान से भी दु:खी रहती हैं
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मर जाने के लिये थोडा सा जहर काफि है दोसतो मगर
जिंदा रहने के लिये काफि जहर पीना पडता है
er kasz

मैं कभी किसी को अपने दिल से दुर नही करता
बस जीनका दिल भर जाता है वो मुजसे दुर हो जाते हैँ
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