रूलाने मे अकसर उन्ही का हाथ होता है
जो कहते है तुम हसते हुए बहुत अच्छे लगते हो

काश वो भी आकर हम से कह दे मैं भी तन्हाँ हूँ
तेरे बिन, तेरी तरह , तेरी कसम , तेरे लिए

यु तो हम लिखने मे माहिर है मगर
तेरे अल्फाज न हो शामील तो शायरी अधुरी रह जाती है

हमें भी आते है अंदाज़ दिल तोड़ने के
हर दिल में ख़ुदा बसता है यही सोचकर चुप हूँ मैं

जब तुम ही नहीं हो तो ज़माने से मुझे क्या
ठहरे हुए जज़्बात में जाँ है भी नहीं भी

दिल से ही हुक्म लेते है दिल से ही सबक लेते है
आशिक कभी उस्तादो की माना नही करते

मोहब्बत और भी बढ़ जाती है जुदा होने से..!!
तुम सिर्फ मेरे हो इस बात का ख्याल रखना..!!

बिछड के इक दूजे से हम कितने रंगीले हो गए
मेरी आँखे लाल हो गई उनके हाथ पीले हो गए

लिपट जाती जरुर अगर ज़माने का डर ना होता |
बसा लेती मै तुमको अगर सीने में घर होता

मौत पर भी है यकीन उन पर भी ऐतबार है
देखते हैं पहले कौन आता है दोनों का इंतजार है

नकाब तो उनका सर से ले कर पांव तक था
मगर आँखे बता रही थी के मोहब्बत के शौकीन थे वो

हमसफ़र होता कोई तो बाँट लेते दूरियाँ
राह चलते लोग क्या समझें मेरी मजबूरियाँ

तू जो भूल गयी मुझको क़सूर तेरा नहीं है,
जब तक़दीर ही बुरी हो तो कोई अपना नहीं बनता!!

अब शक करने लगे है लोग मेरे किरदार पर
कहते है हसताँ तो यू ही है मगर रोता दिल से है

तेरी ज़ुल्फ़ों से जुदाई तो नहीं मांगी थी
क़ैद मांगी थी रिहाई तो नहीं मांगी थी