कितनी झुठी होती है मोहब्बत की कस्मेँ
देखो तुम भी जिन्दा हो मैँ भी जिन्दा हूँ
कितनी झुठी होती है मोहब्बत की कस्मेँ
देखो तुम भी जिन्दा हो मैँ भी जिन्दा हूँ
अकसर वही रिश्ता लाजवाब होता है
जो ज़माने से नहीं ज़ज़्बातों से जन्मा होता है
er kasz
अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उंगलिया उठाते
जिनकी हमें छूने कीऔकात नहीं होती
Er kasz
कितने अजब रंग समेटे है बारिश ने खुद में
अमीर पकोड़े खाने को सोच रहा और किसान जहर
er kasz
Ishq ka hona v lazmi h shayar honye k liye
agr sirf kalam likhti tho aaj her koi galib hota
er kasz
Ab Na Jagoon Ga Raaton Ko Uski Yaadon K Saharay
Main Nay Fitrat Badli Hai Uski Nazroon Ki Tarha
er kasz
महसूस हो रही है हवा मे उसकी खुशबू
लगता है मेरी याद में वो सांसे ले रही है
पी जा अय्याम की तलख़ी को भी हँस के नासिर
ग़म को सहने में भी क़ुदरत ने मज़ा रखा है
पत्थरों आज मेरे सर पर बरसते क्यों हो
मैंने तुमको भी कभी अपना ख़ुदा रखा है
ठोकरें खा कर भी ना संभले तो मुसाफ़िर का नसीब
वरना पत्थरों ने तो अपना फर्ज़ निभा ही दिया
er kasz