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Two Lines
Bewafa Shayari
quot;मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल
quot;मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल
"मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ..
वो उतनी ही कर सकी वफ़ा जितनी उसकी औकात थी...!!
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मुझे ढूंढने की कोशिश न किया
बहुत है मेरे मरने पर रोने
झूठ बोलने का रियाज़ करता हूँ
वो एक मौका तो दे हमे
तुझको खबर नहीं मगर एक बात
quot;शीकायते तो बहुत है तुझसे ए
दोस्त तुम पत्थर भी मारोगे तो
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अजीब पैमाना है यहाँ शायरी की
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