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Dard Shayari
मैं जानता हूँ मेरी खुद्दारियां तुझे
मैं जानता हूँ मेरी खुद्दारियां तुझे
मैं जानता हूँ मेरी खुद्दारियां तुझे खो देंगी लेकिन
मैं क्या करूँ मुझ को मांगने से नफ़रत है
Er kasz
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मालुम था कुछ नही होगा हासिल
कभी फुरसत में खुद से मिलेंगेलोगों
तुम मुझे मोका तो दो साथ
कुछ इस तरहा से सौदा कीया
Dhadkano Ko Bhi Rasta Dijiyea SaahibAap
मत पूछो कैसे गुजरता है हर
चाह कर भी पूछ नहीं सकते
बिछड़ने वाले तेरे लिए एक मशवरा
पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती
तुम्हे तकलीफ न हो जरा भी
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