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Dard Shayari
कुछ इसलिये भी ख्वाइशो को मार
कुछ इसलिये भी ख्वाइशो को मार
कुछ इसलिये भी ख्वाइशो को मार देता हूँ
माँ कहती है घर की जिम्मेदारी है तुझ पर
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Saare Zamane Me Taqseem Tum Apna
मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने
क्या जरूरत है मुझे परफ्यूम लगाने
उन पर बीतेगी तो वो भी
रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर
कमबख्त ये दर्द भी बड़ा ज़िद्दी
तुझे देखकर ही शुरू होती है
नसीहतें अच्छी देती है दुनियाअगर दर्द
जितना रूँठना है रूँठ ले पगलीजिस
मै ये नही कहता की मेरी
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