नाराज़ क्यों होते हो चले जाएंगे तुम्हारी महफ़िल से
लेकिन पहले मुझे मेरे दिल के टुकड़े तो उठा लेने दो

गजब का हुनर है हाथों में लिखने का
मैं कलम से अपने दिल की दास्ताँ लिखती हूँ
और लोग वाह वाह करते हैं

जिस्म से होने वाली मोहब्बत का इजहार आसान होता है
रुह से हुई मोहब्बत को समझाने में जिंदगी गुजर जाती है

उसका वादा भी अजीब था कि जिन्दगी भर साथ निभायेंगे
मैंने भी ये नहीं पुछा की मोहब्बत के साथ या यादों के साथ
Er kasz

यही हालात इब्तदा से रहे लोग हमसे ख़फ़ा ख़फ़ा से रहे
बेवफ़ा तुम कभी न थे लेकिन ये भी सच है कि बेवफ़ा से रहे
er kasz

हाथ की लकीरें पढने वाले ने तो मेरे होश ही उड़ा दिये
मेरा हाथ देख कर बोला तुझे मौत नहीं किसी की चाहत मारेगी
er kasz

बहुत रोये वो हमारे पास आ के जब एहसास हुआ उन्हें अपनी ग़लती का !
चुप तो करा देते हम, अगर चेहरे पे हमारे कफ़न ना होता

वो कहती हैं तुम छोड क्यों नही जाते,इतनी तकलीफ देती हुं तो
मैंने कहा साँस लेने में उलझन आए तो क्या जीना हीं छोड दुं

मुझे मालूम है कि ये ख़्वाब झूठे हैं और ख़्वाहिशे अधूरी हैं
मगर जिंदा रहने के लिए कुछ ऐसी ग़लतफ़हमियाँ जरूरी हैं

हथेली पर रखकर नसीब अपना
क्यूँ हर शख्स मुकद्दर ढूँढ़ता है
अजीब फ़ितरत है उस समुन्दर की
जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढ़ता है

पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती,
दिल में क्या है वो बात नही समझती,
तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती…

प्यार तो जिंन्दगी को सजाने के लिए है पर जिंन्दगी बस दर्द बढ़ाने के लिए है
मेरे अंदर की उदासी काश कोई पढ़ पाता ये हसता हुआ चेहरा तो सिर्फ दिखने के लिए है

Ishq itne qareeb se guzra
Mai yeh samjha ke ho chuka mujh ko

Esa koi dil nahi jo kbi tuta nahi
kaanch se ummid kya rakhna

Roti rahi sarri ratt vo islaiye
Jo pyas bhuj jaye uske bache ki