रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर रुठुंगा
की ये तेरीे आँखे मेरे एक झलक को तरसेंगी

रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर रुठुंगा की
ये तेरीे आँखे मेरी एक झलक को तरसेंगी

अहसास बदल जाते है बस और कुछ नहीं
वरना मोहब्बत और नफ़रत एक ही दिल से होती है
Er kasz

बच न सका ख़ुदा भी मोहब्बत के तकाज़ों से
एक महबूब की खातिर सारा जहाँ बना डाला

कुछ इसलिये भी ख्वाइशो को मार देता हूँ
माँ कहती है घर की जिम्मेदारी है तुझ पर

वो ढल रहा है तो ये भी रंगत बदल रही है
ज़मीन सूरज की उँगलियों से फिसल रही है
er kasz

चीखता चिल्लाता एहसास बे आवाज़ हो गया है
प्यार अब प्यार ना रहा रिवाज़ हो गया है

आज तेरी गलियो से गुजरी है मय्यत मेरी
देख मरने के बाद भी हमने रास्ता नही बदला

उज़ड़ जाते है सर से पाव तक वो लोग
जो किसी बेपरवाह से बेपनाह मोहब्बत करते हैं

उम्र भर उठाया बोझ दीवार पर लगी उस कील ने .......
और लोग तारीफ़ तस्वीर की करते रहे ... Er kasz

घाव इतने दे दिये हैं जानकर या भूल से
दूरियां अब ना मिटेंगी प्यार के दो फूल से

वो कहते हैं बता तेरा दर्द कैसे समझूँ
मैंने कहा इश्क़ कर बहुत कर और करके हार जा

कर कुछ मेरा भी इलाज ऐ हकीम-ए-मोहब्बत
जिस दिन उसकी याद नहीं आती सोया नहीं जाता

सब कुछ लूटा दिया तेरी मुहब्बत में
कमबख्त आसु ही ऐसे है की जो खत्म नही होते है

हो सके तो मुड़ के देख लेना, जाते जाते
तेरे आने के भ्रम में ज़िन्दगी गुज़ार लेंगे