जुल्फों को फैला कर जब कोई महबूबा किसी आशिक की कब्र पर रोती है
तब महसूस होता है कि मौत भी कितनी हसीं होती हे
Er kasz
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जुल्फों को फैला कर जब कोई महबूबा किसी आशिक की कब्र पर रोती है
तब महसूस होता है कि मौत भी कितनी हसीं होती हे
Er kasz
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