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Dosti Shayari
बचपन में जब चाहा हँस लेते
बचपन में जब चाहा हँस लेते
बचपन में जब चाहा हँस लेते थे, जहाँ चाहा रो सकते थे
अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए, अश्कों को तनहाई
er kasz
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Ham Se Zindagi Ki Haqiqat Na
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