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Inspirational Shayari
वो मंज़िल ही बदनसीब थी जो
वो मंज़िल ही बदनसीब थी जो
वो मंज़िल ही बदनसीब थी जो हमें पा ना सकी
वरना जीत की क्या औकात जो हमें ठुकरा दे
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