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Kashish Shayari
अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम
अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम
अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम है तुम पर
अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत ख़त्म ना होती
Er kasz
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