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Two Lines
Kashish Shayari
मोसम की तरह बदलते हें उस
मोसम की तरह बदलते हें उस
मोसम की तरह बदलते हें उस के वादे
उपर से ये ज़िद क तुम मुझ पे एतबार करो
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Na rha kro udas kisi bewaffa
20% लोग आग से जलते है
कोई इल्जाम रह गया हो तो
मेने कहा था न की मुझे
अजीब था उनका अलविदा कहनासुना कुछ
मैं वो हूँ जो कहता था
वाकिफ़ है वो मेरी कमज़ोरी सेवो
तुम्हे तकलीफ न हो जरा भी
रानी नहीं तो क्या हूआ यह
टूट सा गया है मेरी चाहतो
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