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क़ैदखाने हैं बिन सलाखों केकुछ यूँ
क़ैदखाने हैं बिन सलाखों केकुछ यूँ
क़ैदखाने हैं बिन सलाखों के
कुछ यूँ चर्चे हैं उनकी आँखों के
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हर दिन किसी मोड़ पर उनसे
अगर तू KiLLer हैं तो मैं
तुम हज़ार बार भी रुठोगे तो
साँस तो लेने दिया करिये जनाबआँख
उनके देखे से जो आ जाती
होठों के किनारे लटकी हुई है
कजरा गजरा महक रहा है आलिंगन
ये मुकरने का अंदाज़ मुझे भी
मैंने देख पलट के तो हुस्न
बड़ी बेवफ़ा बेरहम हैं ये साँसेरहती
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