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Love Shayari
काश मै लौट पाऊँ बचपन कि
काश मै लौट पाऊँ बचपन कि
काश मै लौट पाऊँ बचपन कि उन गलियों में
जन्हा ना कोई ज़रूरी था ना कोई जरूरत
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Tere Payar Me Doob ke Ye
गर मेरी चाहतों के मुताबिक ज़माने
क़ब्रों में नहीं हमको किताबों में
कैसे ना मर मिटू उस पर
दिलो जान से करेंगे हिफ़ाज़त उसकी
बन्दा खुद की नज़र में सही
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