दिल के जख्मो को उनसे छुपाना पड़ा आखे तर है मगर मुस्कुराना पड़ा
कैसे चले है मोहब्बत के सिलसिले रूठना चाहते थे हम मनाना उन्हें पड़ा
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दिल के जख्मो को उनसे छुपाना पड़ा आखे तर है मगर मुस्कुराना पड़ा
कैसे चले है मोहब्बत के सिलसिले रूठना चाहते थे हम मनाना उन्हें पड़ा
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