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Taarif Shayari
बदला हुआ वक़्त है ज़ालिम ज़माना
बदला हुआ वक़्त है ज़ालिम ज़माना
बदला हुआ वक़्त है ज़ालिम ज़माना है
यहां मतलबी रिश्ते है फिर भी निभाना है
Er kasz
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इतनी अजीब शख्सियत है मेरी मेरे
ज़र्रा ज़र्रा जल जाने को हाज़िर
कोई बुलबुल है कोई तितली है
मुस्कुरा के देखो तो सारा जहाँ
कुछ तो बात है उसकी फितरत
जिस नजाकत से ये लहरे मेरे
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Shukar hai uska jo apni yaden
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