लोहे से लोहा हर कोई काटे लकड़ी से काटो तो मैं मानूं
अरे गम मे तो शायरी हर कोई लिखें बिना गम के लिखो तो मैं मानूं
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लोहे से लोहा हर कोई काटे लकड़ी से काटो तो मैं मानूं
अरे गम मे तो शायरी हर कोई लिखें बिना गम के लिखो तो मैं मानूं
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