जब शीशे की अलमारी में रख कर जूते बेचें जाऐं और
किताबें फुटपाथ पर बिकती हों तो समझलो कि दुनिया को ज्ञान की नहीं जूतों की जरूरत है
er kasz
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जब शीशे की अलमारी में रख कर जूते बेचें जाऐं और
किताबें फुटपाथ पर बिकती हों तो समझलो कि दुनिया को ज्ञान की नहीं जूतों की जरूरत है
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