तेरी यादों के नशे का आदि है ये दिल
जो इसका नशा न करू तो दिल धड़कने से मना करता है
तेरी यादों के नशे का आदि है ये दिल
जो इसका नशा न करू तो दिल धड़कने से मना करता है
तुमने कहा था आँख भर के देख लिया करो मुझे
मगर अब आँख भर आती है तुम नजर नही आते हो
कुछ बूँदें पानी की ना जाने कब से रुकी हैं पलकों पर
ना कुछ कहती हैं ना बहती हैं..
मुहोब्बत नहीं थी उसे मुझसे ये जानता था मैं
फिर भी ये बात कहाँ मानता था मैं
er kasz
बेदर्द सनम हमको भी कहाँ आती थी शायरी,
तेरी जुल्फ के शिकार है बस तब से बिमार है..!
शीकायते तो बहुत है तुझसे ए जिन्दगी
पर जो दिया तूने वो भी बहुतो को नसीब नही
er kasz
काश तू सुन पाता खामोश सिसकियां मेरी आवाज़ करके रोना
तो मुझे आज भी नहीं आता !!. Er kasz
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तेरी मुहब्बत भी किराये के घर की तरह थी…. .
कितना भी सजाया पर मेरी नहीं हुई…. Er kasz
मोहब्बत की है "कोई कत्ल🔪 तो नहीँ"
क्युँ बार-बार कहते है लोग "जरा बचकर रहना" Er kasz
बख्शे हम भी न गए बख्शे तुम भी न जाओगे
वक्त जानता है हर चेहरे को बेनकाब करना
Er kasz
मजिंल पाना तो , बहुत दूर की बात है ..
गुरूर में रहोगे तो , रास्तें भी न देख पाओगे.......Er kasz
हमने तझसे कब माँगा है अपनी वफाओं का सिला
बस दर्द देते रहा करो चाहत बढती जाएगी
"मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ..
वो उतनी ही कर सकी वफ़ा जितनी उसकी औकात थी...!!
दिल तो सीने में दफ़्न हुआ करता है
शायद इसलिये लोग चेहरे पर फ़िदा हुआ करते हैं
तेरी तस्वीर की तारीफ करने से भी डरता हूँ
जमाना जान न जाए मुझे तु अच्छी लगती है