जितनी शिद्दत से मुझे ज़ख़्म दिए हैं उस ने
उतनी शिद्दत से तो मैंने उसे चाहा भी नहीं था..
जितनी शिद्दत से मुझे ज़ख़्म दिए हैं उस ने
उतनी शिद्दत से तो मैंने उसे चाहा भी नहीं था..
मिला क्या हमें सारी उम्र मोहब्बत करके,..
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बस एक शायरी का हुनर, एक रातों का जागना.. Er kasz
हो गयी हो कोई भूल तो दिल से माफ कर देना..
सुना है सोने के बाद हर किसी की सुबह नहीं होती...!!
ये जरुरी नही कि, तुम मेरी हर बात को समझो...
बस इतनी सी तमन्ना है कि तुम मुझे, अपना समझो ...Er kasz
अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम है तुम पर
अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत ख़त्म ना होती
Er kasz
मयखाने से पूछा आज इतना सन्नाटा क्यों है
बोला साहब लहू का दौर है शराब कौन पीता है
Er kasz
कहानी बनके जिये हैं वो दिल के आशियाने में
लगेंगी हमको भी सदियां उन्हें भुलाने में
जिसे भी देखा उसे रोता हुए ही पाया..
मुझे तो ये मोहब्बत किसी फ़क़ीर की बद्दुआ लगती है !!
अभी तक याद कर रहे हैं पागल हैं हम कसम से
उसने तो हमारे बाद भी हजारों भुला दिए
किस तरह खत्म करें उन से रिश्ता
जिन्हें सिर्फ सोचते हैं तो पूरी कायनात भूल जाते हैं
बहकते हुए फिरतें हैं कई लफ्ज़ जो दिल में
दुनिया ने दिया वक़्त तो लिखेंगे किसी रोज़
मत करवाना इश्क ए दस्तूर हर किसी को ए ख़ुदा.
हर किसी में जीते जी मरने की ताक़त नहीं होती...
अधूरेपन का मसला ज़िंदगी भर हल नहीं होता
कहीं आँखें नहीं होतीं, कहीं काजल नहीं होता
क्या लिखूँ अपनी जिंदगी के बारे में दोस्तों
वो लोग ही बिछड़ गए जो जिंदगी हुआ करते थे
मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना
कभी बात करने की हसरत कभी देखने की तमन्ना