गुलाम हुँ अपने घर के संस्कारो का
वरना मैं भी लोगो को उनकी औकात दिखाने का हुनर रखता हुँ

लेकर आना उसे मेरे जनाजे में
एक आखरी हसीन मुलाकात होगी
मेरे जिस्म में जान न हो मगर
मेरी जान तो मेरे जिस्म के पास होगी

dosti karo to dokha mat dena
dusaro ko aasuo ka toffa mat dena
dil se roye koi zindgi bhar
essa kisi ko mauka mat dena

सुलगती हुई सी ज़िन्दगी है
और उठता हुआ धुँआ मैं हूँ

हमे जब नींद आएगी तो इस कदर सोएंगे के लोग रोएंगे हमे जगाने के लिए…!!

जितना रूँठना है रूँठ ले पगली..!!
जिस दिन हम रूँठ गए उस दिन तू जीना ही भूल जाएगी...!!!

मैने तुम्हे उस दिन से ओर भी ज्यादा चाहा
जिस दिन हमे पता चला की तूम हमारे होना नही चाहते

मेने तो यु ही पूछा था कि कयु आयी हो इस धरती पर
वो पगली मुस्कुरा के प्यार से बोली आपके लिए

कहीं तुम भी न बन जाना किरदार किसी किताब का
लोग बड़े शौक से पड़ते है कहानिया बेवफाओं की
er kasz

गुज़र गया वो वक़्त जब हम तुम्हारे तलबगार हुआ करते थे.
अब ज़िन्दगी भी बन जाओ तो क़ुबूल नहीं करेंगे.

मुहब्बत तो भगवान कृष्णा की भी अधूरी ही थी खैर हम वहि है
जो भगवान कृष्ण कि ईच्छा पुरी करने आये है

लोग सीने में क़ैद रखते हैं
हम ने सिर पे चढ़ा रखा है दिल को

आपके बिना हम जिए भी तो कैसे
भला जान के बिना भी कोई जी पाया हैं
G.R...s

खूबसूरत जिस्म हो या सौ टका ईमान
बेचने की ठान लो तो हर तरफ बाजार है
er kasz

मुझमे खामीया बहुत सी होगी मगर
एक खूबी भी है मे किसी से रिश्ता मतलब के लिये नही रखता