रात बीत गई तेरी बाहो मे
मै ढुढता रहा तुझको अपनी बाहो में ...❗❗

गुजर जाऊँगा यूँ ही किसी लम्हे सा
और तुम वक़्त में उलझी रहना

चाहे कितनी भी तकलीफ दे इश्क़
पर सुकून भी इश्क़ से ही होता है

और भी बनती लकीरें दर्द की
शुक्र है खुदा तेरा जो हाथ छोटे दिए

किसी के गम को उछाला नहीं करते
शौक हम ऐसे वैसे पाला नहीं करते

दो लफ्ज लिखे जो तेरी याद मेँ
सब कहने लगे तू आशिक बहुत पुराना

जी में आता है तेरे दामन में सर छुपा के
हम रोते रहें रोते रहें

कौन से ज़ख्म का ये टांका खुला?
आज फिर दिल में दर्द बेहद उठा है.

अब शिकवा क्या करना उनकी बेरुखी का...
अब दिल ही तो था भर गया होगा.

ख्वाब तो सो जाते है इन्तेजार में
मेरी करवटों को नींद नही आती

जो उनकी आँखों से बयां होते है
वो लफ्ज़ किताबो में कहाँ होते है

मैं उस किताब का आखिरी पन्ना था
मैं न होता तो कहानी खत्म न होती

वजह नफरतों की तलाशी जाती है
मोहब्बत तो बेवजह ही हो जाती हैं…!

बस एक बार तुमसे बात हो जाए तो रात को दिल कहता है
आज दिन अच्छा था

रुक गयी आज ये कहकर, कलम मेरी,
एहसास कीमती हैं, ज़रा कम खर्च करो!!Er kasz