दरवाज़ों के शीशे न बदलवा
लोगों ने अभी हाथ से पत्थर नहीं फेंके

ये मेरी आदत मुझे चैंन से रहने न देगी...
ये मेरी तुझे सोचने की आदत .

निकाल दे दिल से ख्याल उसका
यादें किसी की तकदीर नहीं बदला करती |

मैं कोई छोटी सी कहानी नहीं था
बस पन्ने ही जल्दी पलट दिए तुम नें

एक तो ये गर्मी और एक तुम
दोनो बहनें हो क्या जो इतना सताती हो हमे

🍷कुछ लफ्जों को बहकाया महकाया,
फिर भी तेरी खुबसुरती बयां न हुई..ll

तुझसे से कैसे गिला ऐ नादान
कुछ रिश्तों की उम्र ही कम होती है
Er kasz

इश्क का बटवारा रज़ामंदी से हुआ
चमक उन्होने बटोरी तड़प हम ले आए

वक़्त की रफ़्तार कभी बदलती नहीं
बस ज़िन्दगी की रफ़्तार बदल जाती है

हमे जब नींद आएगी तो इस कदर सोएंगे के लोग रोएंगे हमे जगाने के लिए…!!

इश्क़ वो खेल नही जिसे बच्चे खेले
जान निकल जाती है सदमे सहते सहते

तजुर्बे ने एक बात सिखाई है
एक नया दर्द ही पुराने दर्द की दवाई है

कही आदत ना हो जाये जिंदगी की,
इसलिए! रोज़ रोज़ थोड़ा थोड़ा मरते है हम...!!

कल ही तो तोबा की मैंने शराब से
कम्बक्त मौसम आज फिर बेईमान हो गया

दिल का अपनी हद से बाहर हो जाना
शायद इसे ही बेहद मोहब्बत कहते हैं