शायरी करना भी तो एक नेकी का काम है
कितने बिछड़े हुए लफ़्जो को मिला देता हूँ
Er kasz
शायरी करना भी तो एक नेकी का काम है
कितने बिछड़े हुए लफ़्जो को मिला देता हूँ
Er kasz
आपकी सादगी पे क़त्ल-ऐ-आम हुवे जाते है
तब क्या क़यामत होगी जब आप सवंर कर आओगे
er kasz
कितनी खूबसूरत हो जाती है उस वक्त दुनिया
जब कोई अपना कहता है तुम याद आ रहे हो
er kasz
हो सकती है जिंदगी में मोहब्बत दोबारा भी
बस हौंसला चाहिए फिर से बर्बाद होने का
अजीब पैमाना है यहाँ शायरी की परख का
जिसका जितना दर्द बुरा शायरी उतनी ही अच्छी
हर रिश्ते का नाम जरूरी नहीं होता
कुछ बेनाम रिश्ते रुकी जिंदगी को साँस देते है
शायरी का बादशाह हुं और कलम मेरी रानी
अल्फाज़ मेरे गुलाम है बाकी रब की महेरबानी
बेटियों के जन्म पर मातम मनाने वालों
आज उस घर में जाकर देखो जहाँ बेटियाँ नही है
सब शिकवे हमसे कागज़ पे उतारे ना जाएंगे
कहीं पढ़ने वाला तुम्हें बददुआ ना दे दे
वेसे तो मैं ठीक हु, तेरे बिछड जाने के बाद भी
बस दिल का ही डर है, कही धडकना ना छोड दे
जीत हासिल करनी हो तो काबिलियत बढाओ
किस्मत की रोटी तो कुत्ते को भी नसीब होती है
आज बरसों का जख्म उभर कर सामने आया
जब उसने किसी गैर को अपना और मुझे अजनबी बताया।
" धडकनें इस दिल की कभी बंद
नहीं होगी...
बस तुम इस दिल से निकल कर
कहीं मत जाना." Er kasz
आज जाकर के उसने सच में भुलाया है मुझे
वरना ये हिचकियाँ पानी से तो नहीं जाती थीं
कमबख्त ये दर्द भी बड़ा ज़िद्दी होता है
आँखों को सम्भालो तो दिल को भारी कर जाता है