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Two Lines
Naseeb Shayari
हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी
हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी
हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही गलती थी...
लकीरों को मिटाना चाहा था किसी को पाने के लिए..
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चलते रहेंगे काफ़िले मेरे बगैर भी
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