फुरसत अगर मिले तो मुझे पड़ना जरूर
मै नायाब उलझनों की मुकम्मल किताब हूं
फुरसत अगर मिले तो मुझे पड़ना जरूर
मै नायाब उलझनों की मुकम्मल किताब हूं
मंज़िलों से गुमराह भी ,कर देते हैं कुछ लोग ।।
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता !!Er kasz
कोई खास फर्क नहीं पड़ता अब ख़्वाहिशें अधूरी रहने पर
ए दोस्तो
बहुत करीब से कुछ सपनों को टूटते हुये देखा है मैंने
नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर.....
कसूर तो उस चेहरे का हैं जो सोने नहीं देता....
दिल भी आज मुझे ये कह कर डरा रहा है
करो याद उसे वरना मै भी धडकना छोड़ दूंगा
दुश्मनी में भी दोस्ती का सिलसिला रहने दिया
उसके सारे खत जलाए और पता रहने दिया
ये मोहब्बत के हादसे अक्सर दिलों को तोड़ देते हैं
तुम मंज़िल की बात करते हो लोग राहों में छोड़ देते हैं
एक लम्हें में ही दम तोड़ गये सारे अहसास ए अल्फाज़
जब उसने कहा हाँ तुम अच्छे तो लगते हो पर तुमसे मोहब्बत नहीं है
मंजिल का नाराज होना भी जायज था
हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे थे
मुझे तो पहले से ही मैगी पर शक था
एक तो फीमेल औऱ दो मिनट में तैयार कुछ गड़बड़ ज़रूर है
मै बैठूंगा जरूर महफ़िल में पर पीऊंगा नही
क्योंकि मेरा ग़म मिटा दे इतनी शराब की औकात नही
er kasz
Naye log jb Milte hain to Purane Bhool Jate Hain
MAGAR Naye Jab Dil Dukhate Hain To Yaad Purane Hi Aate Hain
मोहब्बतें अधूरी रह जाती है
तभी तो शायरियां पूरी होती है
मैंने गले में सारे ताबीज डाल के देखे हैं पर..
जो तेरी यादों को रोक सके वो धागा मिला ही नहीं..