तू वो ज़ालिम है जो दिल में रह कर भी मेरा ना बन सका ग़ालिब
और दिल वो काफिर है जो मुझ में रह कर भी तेरा हो गया

हथेली पर रखकर नसीब अपना
क्यूँ हर शख्स मुकद्दर ढूँढ़ता है
अजीब फ़ितरत है उस समुन्दर की
जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढ़ता है

वफ़ादार तुम ख्याल अच्छा है
बेवफ़ा हम इलज़ाम अच्छा है

ढूंढने पर वही मिलेंगे जो खो गए हैं
वो कभी नहीं मिलेंगे जो बदल गए हैं

सुना है आग लग गयी है बेवफाओ की बस्ती में
या खुदा मेरे मेहबूब की खैर रखना

दिल की बातें जाकर के दिलदार को बताती
बड़ी ही खूबसूरती से अपनी ओकात छुपाती है

न शिकायतें न सवाल है कोई आसरा न मलाल है
तेरी बेरुखी भी कमाल थी मेरा जब्त भी कमाल है

वक्त तू कितना भी सता ले मुझे ,
लेकिन याद रख किसी मोड़ पर ,
तुझे भी बदलने पर मजबूर कर दूंगा!! Er kasz

कसूरवार किसी और को क्यू समझें गलती तो अपनी है
ज़िन्दगी बेक़द्रों को सौंप दी और मुहब्बत लापरवाहों से कर बैठे

फिक्र तो तेरी आज भी करते है..
बस जिक्र करना छोड दिया !!

आजकल दिल कुछ ठीक सा नही रहता
पता नही हम बदल गए या तुम
er kasz

लोग मुझसे मेरी उदासी की वजह पूछते है
इजाजत हो तो तेरा नाम बता दूँ...??

इश्क का धंधा ही बंघ कर दिया साहेब
मुनाफे में जेब जले और घाटे में दिल
er kasz

सारा ही शहर उस के जनाजे में था शरीक
तन्हायों के खौफ से जो शख्स मर गया
er kasz

नहीं चाहिए तेरे इश्क की दुकान से कुछ भी
हर चीज़ मे मिलावट है बेवफ़ाई की