दिल दिया है तो दिल मिला भी होगा किसी से
क्यों इश्क में हिसाब किए फिरते हो
दिल दिया है तो दिल मिला भी होगा किसी से
क्यों इश्क में हिसाब किए फिरते हो
उसे अपना कहने की बड़ी तमन्ना थी दिल मे.
इससे पहले बात लबो पर आती वो गैर हो गये...
सोच रखी है बहुत सी बाते तुम्हे सुनाने को
तुम हो, के आते ही नहीं हमें मनाने को
सब तेरी मोहब्बत की इनायत है
वरना मैं क्या मेरा दिल क्या मेरी शायरी क्या
er kasz
उम्र भर उठाया बोझ दीवार पर लगी उस कील ने .......
और लोग तारीफ़ तस्वीर की करते रहे ... Er kasz
" धडकनें इस दिल की कभी बंद
नहीं होगी...
बस तुम इस दिल से निकल कर
कहीं मत जाना." Er kasz
मिट्टी में मिला देती है हँसते हुए चेहरे
तकदीर को कहाँ रिश्तों की पहचान होती है
बहुत है मेरे मरने पर रोने वाले मगर
तलाश उसकी है जो मेरे रोने पर मरने की बात कह दे।
ज़रा देख ये दरवाज़े पे दस्तक किसने दी है
अगर ईश्क़ हो तो कहना यहा दिल नही रहता
Er kasz
फैसले से पहेले कैसे मान लूं हार क्योंकी
वक्त अभी जीता नहीँ और मैं अभी हारा नही
er kasz
जिन्दगी की उलझनों ने कम कर दी हमारी शरारते
और लोग समझते हैं कि हम समझदार हो गये
er kasz
भुला दूंगा तुझे ज़रा सब्र तो कर
तेरी तरह मतलबी बनने में थोड़ा वक़्त तो लगेगा ही। Er kasz
जितनी शिद्दत से मुझे ज़ख़्म दिए हैं उस ने
उतनी शिद्दत से तो मैंने उसे चाहा भी नहीं था..
खामोशियाँ कर दे बयां तो अलग बात हैं
कुछ दर्द ऐसे भी हैं जो लफ्जों में उतारे नही जाते
लफ्ज होते हैं इंसान का आईना शक्ल का क्या
वो तो उम्र और हालात के साथ अक्सर बदल जाती है