एहसास ए मुहब्बत के लिए बस इतना ही काफी है
तेरे बगैर भी हम तेरे ही रहते है
Er kasz

लगाई तो थी आग उनकी तस्वीर में रात को
सुबह देखा तो मेरा दिल छालो से भर गया
er kasz

ख़ता ये नहीं कि उसने भूला क्यों दिया
सवाल ये है कि वो मुझे अब याद क्यों है
Er kasz

ये सोच कर तेरी महफ़िल में चला आया हूँ
तेरी सोहबत में रहूँगा तो संवर जाऊंगा

आहिस्ता से दाखिल होकर उसने दिल मेँ मेरे
मेरे ही दिल से मुझको बेदखल कर दिया

तेरी यादें हर रोज़ आ जाती है मेरे पास
लगता है तुमने बेवफ़ाई नही सिखाई इनको

तुझे क्या लगता है मुझे तेरी याद नही आती
पगली कौन अपनी बरबादी को भुल सकता है

अब इन पलकों का परदा न उठायेंगे हम
एक बार उठाया तो इल्ज़ाम क़त्ल का लगा दिया

हकिकत से बहोत दूर है ख्वाहिश मेरी
फिर भी एक ख्वाहिश है कि एक ख्वाब हकिकत हो

यारों से गले मिलती हो बाहों का हार बनकर
आ जाओ हमसे मिलने कांटों का हार बनकर

तज़ुर्बा मेरा लिखने का बस इतना सा है
मैं सुनती हूँ वाह वाह अपनी ही तबाही पर

अरे तुम भी निकले हो वफ़ा की तलाश में
यकीन मानो नही मिलती नही मिलती नही मिलती

बड़ी मुश्किल से बना हु टूट जाने के बाद
मैं आज भी रो देता हु मुस्कुराने के बाद

मेरी बर्बादिओं में कुछ तेरा भी हाथ था ....... क्या इस बात का अब तुझसे शिकवा भी न करू ??

तुम अपने बारे मै मुझसे भी पुछ सकते हो
ये तुमसे किसने कहा की आईना ही जरूरी है