लपेट ली है मैंने तेरे अहसास की चादर
पता है मुझे आज फिर तेरी यादों की बारिश तेज़ है

प्यार ऐसे करो के दूसरा आप को छोड़ने के बाद ज़िन्दगी भर कहे
प्यार तो बस वही करता था

माना के तेरी नज़र के काबिल नहीं हूँ मैं
कभी उन से भी पूछ, जिन्हें हासिल नहीं हूँ मैं

न शिकायतें न सवाल है कोई आसरा न मलाल है
तेरी बेरुखी भी कमाल थी मेरा जब्त भी कमाल है

ना चाहते हुए भी आ जाता है लबो पे तेरा नाम
कभी तेरी तारीफ़ में तो कभी तेरी शिकायत में

अहसास मिटा,तलाश मिटी मिट गई उम्मीदें भी
सब मिट गया पर जो न मिट सका वो है यादें तेरी

कैसे गुजरती है हर शाम मेरी तेरे बिना
बस एक बार तू देख ले तो कभी तन्हा ना छोड़े मुझे

आज किसी ने बातों बातों में जब उन का नाम लिया
दिल ने जैसे एक पल के लिए धडकना छोड दिया

खो जाओ मुझ में तो मालूम हो कि दर्द क्या है
ये वो किस्सा है जो जुबान से बयाँ नही होता

मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने खत तेरे,
तू झूठ भी कितनी सच्चाई से लिखती थी...!

वो लफ्ज कहां से लाऊं जो तेरे दिल को मोम कर दें;
मेरा वजूद पिघल रहा है तेरी बेरूखी से.

मेरी लिखी किताब मेरे ही हाथो मे देकर वो कहने लगी
इसे पढा करो मोहब्बत सीख जाओगे
er kasz

जिन्दगी की उलझनों ने कम कर दी हमारी शरारते
और लोग समझते हैं कि हम समझदार हो गये
er kasz

उस बेवफा ने मेरा ख़त बड़ी बेदर्दी से फाड़ा
मेरे शब्दों की हिचकियां मेरे दरवाजे तक आई

होठों की मुस्कुराहठ से पता चलता है
कोई अपना था तुम्हारा जो तुम्हें बर्बाद कर गया