लत लग गई हमे तो अब तेरे दीदार-ए-हुस्न की
इसका गुन्हेगार किसे कहे खुद को या तेरी कातिल अदाओ को

Bahot Shauq hai na tujhy behas karne ka
Aa baith bata kis morr pe wafa ki tune

दिल का हर घाव भरने लगता है
तेरी आवाज़ है कि मरहम है

अगर पूरा ज़माना भी मेरा होता ना
जाना फिर भी हम तेरे ही होते

दो लफ्ज लिखे जो तेरी याद मेँ
सब कहने लगे तू आशिक बहुत पुराना है

कुछ इस तरह से नाराज हैं वो हमसे
जैसे उन्हें किसी और ने मना लिया हो

इतनी भी गौर से ना पढो मेरी आँखों को
मुमकिन है कल तुम्हे मोहब्बत हो जाए

अब इतना भी सादगी का जमाना नही रहा
की तुम वक़्त गुजारो और हम प्यार समझें

तुम मोहब्बत के सौदे भी अजीब करते हो
बस मुस्कुरा देते हो और खरीद लेते हो

बस इतना जान लो के तन्हा नही हो तुम
मैं हूँ कहीं भी लेकिन तेरे संग-संग हूँ

तेरे बाहो के सहारे की जरुरत नही मुझको
रुह से रुह को मिला वरना खुदा हाफिज

बहुत कुछ कहना है पर कहूँ भी तो किसे कहूँ
ख़ुद से ही इतना ख़फ़ा ख़फ़ा रहता हूँ आजकल

नकाब तो उनका सर से ले कर पांव तक था
मगर आँखे बता रही थी के मोहब्बत के शौकीन थे वो
er kasz

हासिल करके तो हर कोई मोहब्बत कर सकता है
बिना हासिल किए किसीको चाहना कोई हमसे पूछे

ज़ुल्म इतने ना कर के लोग कहे तुझे दुश्मन मेरा..
मैंने ज़माने को तुझे अपना प्यार बता रखा है.