नशे मे सम्भलने का फन युं ही नही आया
इन जुल्फों से सीखा है लहरा के सवर जाना

नसीब का खेल भी अजीब तरह से खेला हमने
जो न था नसीब में उसी को टूट कर चाह बैठे

मुझसे मोहब्बत पर मशवरा मांगते है लोग
तेरा इश्क तजुर्बा मुझको ऐसा दे गया

दिल चाहता है सीने से लगा लु तुमको
इश्क चाहता है कि आँखों में छिपा लू तुमको

ऐसा नहीं है कि हमें बातें बुरी नहीं लगती
एक बस तेरे लिये सारे गुनाह माफ़ है

सुनो बस इतनी सी बात कहना है तुम्हे
खयाल रखा करो अपना बहुत अच्छे लगते हो हमे

देख लेना ‪अपनी‬ वाली तो एसी होगी
जो ‪ReAL‬ में तो क्या ‎Aadhar Card‬ में भी ‎Heroine‬ दिखती हो
G.R..s

मयखाने से पूछा आज इतना सन्नाटा क्यों है
बोला साहब लहू का दौर है शराब कौन पीता है

कुछ इस तरह हमने जिन्दगी को आसान कर लिया
किसी से माफ़ी मांग ली किसी को माफ़ कर दिया।

टुकड़े पड़े थे राह में किसी हसीना की तस्वीर के,
लगता है कोई दीवाना आज समझदार हो गया.

जी भर कर जुल्म कर लो......
क्या पता मेरे जैसा कोई बेजुबान तुम्हें फिर मिले ना मिल*::*""!! Er kasz

छेड़कर जमानेभर की लड़कियों को रोया वो रातभर
जिस रोज घर उसके बिटिया ने जन्म लिया

उसकी ये मासूम अदा मुझको बेहद भाती है
वो मुझसे नाराज़ हो तो गुस्सा सबको दिखाती है

यूँ तो मुझे बदनामी अपनी अच्छी नही लगती
मगर लोग तेरे नाम से छेड़ें तो बुरा नही लगता

तेरी जुदाई का शिकवा करूँ भी तो किससे करूँ
यहाँ तो हर कोई अब भी मुझे तेरा समझता हैं