बड़ा शौक था उसे मेरा आशियाना देखने का
जब देखी मेरी गरीबी रास्ता बदल लिया
बड़ा शौक था उसे मेरा आशियाना देखने का
जब देखी मेरी गरीबी रास्ता बदल लिया
जहा हर बार अपनी बातो पर सफाई देनी पड़ जाए.
वो रिश्ते कभी गहरे नही होते ..!!
काश आंसुओं के साथ यादे भीं बह सकती,
तो एक दिन तस्सल्ली से बैठ कर रो लेते
कदर करलो उनकी जो तुमसे बिना मतलब की चाहत करते है
दुनिया में ख्याल रखने वाले कम और तकलीफ देने वाले ज्यादा होते है
पानी से भरी आँखें लेकर वह मुझे घूरता ही रहा,
वह आईने में खङा शख्स परेशान बहुत था आज ..!!
तेरे गुरुर को देखकर तेरी तमन्ना भी छोड दी हमने
जरा हम भी तो देखे कौन चाहता है तुझे मेरी तरह
er kasz
राम जाने किसलिए हमसे करार करती हो
गैरों से नजरे लड़ाती हो और प्यार करती हो
मोहब्बत ज़िन्दगी बदल देती है
मिल जाए तब भी ना मिले तब भी
मैं उस किताब का आखिरी पन्ना था
मैं न होता तो कहानी खत्म न होती
ठोकरें खाकर भी ना संभले तो मुसाफिर का नसीब
राह के पत्थर तो अपना फ़र्ज़ अदा करते हैं
er kasz
आज कोई नया जख्म नहीं दिया उसने मुझे
कोई पता करो वो ठीक तो है ना.
अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा
जहाँ लोग मिलते कम झांकते ज़्यादा है
er kasz
पागल नहीं थे हम जो तेरी हर बात मानते थे,
बस तेरी खुशी से ज्यादा कुछ अच्छा ही नही लगता था..!!