मोहब्बत छोड के हर एक जुर्म कर लेना
वरना तुम भी मुसाफिर बन जाओगे हमारी तरह इन तन्हा रातों के
er kasz
मोहब्बत छोड के हर एक जुर्म कर लेना
वरना तुम भी मुसाफिर बन जाओगे हमारी तरह इन तन्हा रातों के
er kasz
आज फिर तन्हा रातो मै इन्तेजार है मुझे उस शख्स का
जो कहा करता था तुमसे बात किए बिना नीँद नही आती ।
जहां हो, जैसे हो, वहीं ....वैसे ही रहना तुम ,
.
तुम्हें पाना जरुरी नहीं....तुम्हार
ा होना ही काफी है...!! Er kasz
हम ने मोहब्बत के नशे में आ कर उसे खुदा बना डाला
होश तब आया जब उस ने कहा कि खुदा किसी एक का नहीं होता
दोस्त तुम पत्थर भी मारोगे तो भर लेंगे झोली अपनी,
क्योंकि हम यारों के तोहफ़े ठुकराया नहीं करते !! Er kasz
किसी के दिल में क्या छुपा है ये बस खुदा ही जानता है
दिल अगर बेनकाब होता तो सोचो कितना फसाद होता
Er kasz
तेरी यादों के संग बरसती रही अश्कों की बारिश.
भीग गई हथेलियाँ ढूंढते ढूंढते लकीरों में तेरा नाम.!Er kasz
☄मेरे अलावा किसी और को अपना इश्क़ बना कर देख ले..
तेरी हर धड़कन कहेगी उसकी वफ़ा मैं कुछ और बात थी !! ☄ er kasz
तन्हाई की रात गुज़र ही जाएगी इतने भी हम मजबूर नहीं.
दोहरा कर तेरी बातों को कभी हंस लेंगे कभी रो लेंगे.
कुछ शब्दों महज शब्द नहीं होते वह स्थितियाँ होती हैं,
जो तब ही समझ में आती हैं जब खुद आप पर गुज़रती है
तुझे तो हमारी मोहब्बत ने मशहूर कर दिया बेवफ़ा ….
वरना तू सुर्खियों में रहे तेरी इतनी औकात नहीं……! Er kasz
तुम क्या जानो हम अपने आप में कितने अकेले हैं .
पूछो उन रातों से जो रोज़ कहती हैं खुदा के लिए आज तो सो जाओ..!!
अब यूँ भी न परखो मेरी चाहत की गहराइयों को
बस यूँ समझ लो हर रोज़ तुम्हारा नाम लिखकर आखों से लगा लेते हैं
उम्र में,ओहदे में, कौन कितना
बड़ा है, फर्क नही पड़ता ।
लहजे में, कौन कितना
झुकता है, फर्क ये पड़ता है।। Er kasZ
हारना तब आवश्यक हो जाता हैं जब लड़ाई अपनों से हो
और जीतना तब आवश्यक हो जाता हैं जब लड़ाई अपने आप से हो
Er kasz