बदनसीब मैं हूँ या तू हैं ये तो वक़्त ही बतायेगा..
बस इतना कहता हूँ अब कभी लौट कर मत आना....

मिला क्या हमें सारी उम्र मोहब्बत करके,..
.
.
बस एक शायरी का हुनर, एक रातों का जागना.. Er kasz

लाख समझाया उसको कि दुनिया शक करती है
मगर उसकी आदत नहीं गई मुस्कुरा कर गुजरने की
Er kasz

हो गयी हो कोई भूल तो दिल से माफ कर देना..
सुना है सोने के बाद हर किसी की सुबह नहीं होती...!!

क्या जरूरत है मुझे परफ्यूम लगाने की,
तेरा ख्याल ही काफी है मुझे महकाने के लिए।💞💞 Er kasz

ये जरुरी नही कि, तुम मेरी हर बात को समझो...
बस इतनी सी तमन्ना है कि तुम मुझे, अपना समझो ...Er kasz

इतनी मुश्किल भी ना थी राह मेरी मुहब्बत की

कुछ ज़माना खिलाफ हुआ कुछ वो बेवफा हो गए

किस तरह खत्म करें उन से रिश्ता
जिन्हें सिर्फ सोचते हैं तो पूरी कायनात भूल जाते हैं

खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो
सहारे कितने भी सच्चे हो एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं...

मत करवाना इश्क ए दस्तूर हर किसी को ए ख़ुदा.
हर किसी में जीते जी मरने की ताक़त नहीं होती...

ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है मुहब्बत के लिए,
फिर रूठकर वक़्त गंवाने की जरूरत क्या है !
Er kasz

वो भी आधी रात को निकलता है और मैं भी
फिर क्यों उसे चाँद और मुझे आवारा कहते हैं लोग
Er kasz

बुलंदी की उड़ान पर हो तो जरा सब्र रखो
परिंदे बताते हैं आसमान में ठिकाने नहीं होते
er kasz

दुश्मन भी दुआ देते हैं मेरी फितरत ऐसी है
दोस्त ही दगा देते हैं मेरी किस्मत ऐसी है
er kasz

कभी सोचा भी ना था के वो भी मुझे तनहा कर जाएगा.
जो अक्सर परेशान देख के कहता था मैं हूँ ना