Wo jawaab-talab hain ke bhool to na jaoge
Jawaab main kya dun jab sawaal hi paida nahin hota
Wo jawaab-talab hain ke bhool to na jaoge
Jawaab main kya dun jab sawaal hi paida nahin hota
धुँए की तरह उड़ना सीखो...
जलना तो लोग भी सीख गये हैं....
वक़्त की रफ़्तार कभी बदलती नहीं
बस ज़िन्दगी की रफ़्तार बदल जाती है
वाकिफ़ है वो मेरी कमज़ोरी से
वो रो देती है और मैं हार जाता हूँ
er kasz
कोई हमे भी सिखा दो ये लफ्जों से खेलना
दर्द हमारे पास भी बेहिसाब है
मेरी तङप तो कुछ भी नही है
सुना है उसके दिदार के लिए आईने तरसते है
Er kasz
जितनी चादर हैं उतने ही पैर फैलाने चाहिए
इसलिए मैंने पैर ही काट लिए।
नज़र-नज़र का फर्क है हुस्न का नहीं
महबूब जिसका भी हो बेमिसाल होता है
बहुत थे मेरे भी इस दुनिया मेँ अपने
फिर हुआ इश्क और हम लावारिस हो गए
Er kasz
मुझे मजबूर करती हैं यादें तेरी वरना
शायरी करना अब मुझे अच्छा नहीं लगता
काश मै लौट पाऊँ बचपन कि उन गलियों में
जन्हा ना कोई ज़रूरी था ना कोई जरूरत
किस कदर दर्द सेहता होगा वो सख्स
जिसे अहसास हो अब ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं रही
क्यों याद करेगा कोई बेवजह मुझे ऐ खुदा,
लोग तो बेवजह तुम्हे भी याद नहीं करते..