जैसे आजकल बारिश के तलबगार हैं सब
ठीक वैसे ही जरुरत मुझे तुम्हारी है
जैसे आजकल बारिश के तलबगार हैं सब
ठीक वैसे ही जरुरत मुझे तुम्हारी है
राज ज़ाहिर ना होने दो तो एक बात कहूँ
मैं धीरे धीरे तेरे बिन मर जाऊँगी
तुम मिल गई तो खुदा भी नाराज हैं मुझसे
कहता है कि अब तु कुछ माँगता नहीं
दो पल की यह जिंदगी हर सजा के तार की
जब तलक है सांस गा लो कोई गजल प्यार की
क्यू बार बार ताकते हो शीशे को नज़र लगाओगे
क्या मेरी इकलौती मुहब्बत को
बेवफाई के सितम तुमको भी समझ आ जाते
काश होता अगर तुम जैसा तुम्हारा कोई
ए जिंदगी तू सच में बहुत खूबसूरत हे
फिर भी तू उसके बिना अच्छी नहीं लगती
सौदेबाजी का हुनर कोई उनसे सीखे
गालों का तिल दिखा कर सीने का दिल ले गयी
निकली थी बिना नकाब आज वो घर से
मौसम का दिल मचला लोगोँ ने भूकम्प कह दिया
दुनिया में तो और भी होंगे तेरे जैसे
पर मेने तूझे चाहा ह तेरे जेसे को नहीं
मैंने तो हमेशा ही तुझसे महोब्बत की है
तेरे ना मानने से हकीक़त नहीं बदलेगी
खोए हुए थे सब अपनी जिन्दगी कीउलझनों में
कल धरती हिली तो सबको भगवान याद आ गये
दोस्त बहुत है मगर याद आता है कोई-कोई
इश्क तो सभी करते है मगर निभाता है कोई-कोई
लगा कर फूल होटों से उसने कहा चुपके से
अगर कोई पास न होता तो तुम फूल की जगह होते
छोटी छोटी बातों पर यूं तडपाया न करो
माना जमाने से डरती हो नजरें तो मिलाया करो