चला आता है तेरा अक्स ख्यालों में मेरे
तुझको न सही तेरी रूह को मुझसे मोहोबत है
चला आता है तेरा अक्स ख्यालों में मेरे
तुझको न सही तेरी रूह को मुझसे मोहोबत है
नशा था उनके प्यार का जिसमे हम खो गये
उन्हें भी नहीं पता चला कि कब हम उनके हो गये
तेरी ज़ुल्फ़ों से जुदाई तो नहीं मांगी थी
क़ैद मांगी थी रिहाई तो नहीं मांगी थी
बेटियों के जन्म पर मातम मनाने वालों
आज उस घर में जाकर देखो जहाँ बेटियाँ नही है
होंठो पे हंसी आती है निगाहे झुक जाती है
जब आप सामने आते प्यास लबो की बुझ जाती है
महसूस जब हुआ कि सारा शहर मुझसे जलने लगा है
तब समझ आ गया कि अपना नाम भी चलने लगा है
सात समन्दर पर भी तुमसे मिलने को आऊगा
अगर वहां भी नहीं मिलीं तो वहीं पर मर जाऊंगा
होती रहती है आशिकों से इश्क में गलतियाँ
कोई जन्म से हीं मजनु और रांझा नहीं होता
मिल सके आसानी से उसकी ख्वाहिश किसे है
ज़िद तो उसकी है जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं
जज्बातों की डोर मे बंधा हुआ विश्वास ही तो है
और क्या है मोहब्बत एक अहसास ही तो है
ये तो सच है क़ि हमें चाहने वाले बहुत हैं
पर ये भी ज़िद है क़ि हमें सिर्फ तुम चाहो
गालिब पुछता था मुझे पहुंची कहाँ तक शायरी
मैने तेरा नाम लिया उसने कहा बहुत अच्छे
काश वो भी आकर हम से कह दे
मैं भी तन्हाँ हूँ ,तेरे बिन, तेरी तरह , तेरी कसम तेरे लिए.!!
=RPS
उसकी ये मासूम अदा मुझको बेहद भाती है
वो मुझसे नाराज़ हो तो गुस्सा सबको दिखाती है
शाम भी रूठी तेरे बिना रात भी रोयी तेरे बिना
दिल को बहुत समझाया समझा नहीं तेरे बिना