पुछो इस दिल से मैं तुम्हें कितना याद करता हूँ
पागल सी हो गयी है वो कलम जिससे मैं तेरा नाम लिखता है
पुछो इस दिल से मैं तुम्हें कितना याद करता हूँ
पागल सी हो गयी है वो कलम जिससे मैं तेरा नाम लिखता है
शुब्हो-शाम रात-दिन खोया रहता हूं तेरी यादों में
सोचता हूं वो दिन कब आएगा जब सोऊगा तेरी बांहों में
आँखे बंद करके चलते हैं राह ऐ वफ़ा में लोग
और कहते फिरते हैं की मोहब्बत अंधी होती है
बरबाद कर देती है मोहब्बत हर मोहब्बत करने वाले को,
क्यूकि इश्क़ हार नही मानता और दिल बात नही मानता....
दो दिल जहां मिले उसे हम लभ स्टेशन कहते हैं
ऐश्वर्या जी मेरी महबूबा उन्हीं के ख्याल में हम रहते हैं
मेरी ख़ुशी की परवाह ना कर तुझसे तो मुहब्बत है मुझे
तू मेरे बिना रह पर खुश रह तेरी ख़ुशी से मतलब है मुझे
इस रात की उदासियों से पूछो मेरे दिल की हालत
जब भी तुम्हारी याद आती है ये अँधेरे और भी गहरे हो जाते है
तुझे तो हमारी मोहब्बत ने मशहूर कर दिया बेवफ़ा ….
वरना तू सुर्खियों में रहे तेरी इतनी औकात नहीं……! Er kasz
तू वो ज़ालिम है जो दिल में रह कर भी मेरा ना बन सका ग़ालिब
और दिल वो काफिर है जो मुझ में रह कर भी तेरा हो गया
मेरे दिल में जानेमन हर वक्त तेरा ही ख्याल रहता है
क्या करूं ऐ दिले धडकन हर वक्त मेरा बुरा हाल रहता है
खुदा तु भी कारीगर निकला, खीच दी दो-तीन लकीरें हाथों में
और ये नादान इंसान उसे तकदीर समझ बैठा
चेहेरे पे बनावट का गुस्सा आंखो से छलकता प्यार भी है
इस इश्क-ए-अदा को क्या कहिए इनकार भी है इकरार भी है
एक अज़ीब सा रिश्ता है मेरे और ख्वाहिशों के दरम्यां,
वो मुझे जीने नही देती… और मै उन्हे मरने नही देता.Er kasz
मुझे नींद की इजाज़त भी उनकी यादों से लेनी पड़ती है
जो खुद आराम से सोये हैं मुझे करवटों में तन्हा छोर कर
नीलाम कुछ इस कदर हुए, बाज़ार-ए-वफ़ा में हम आज,
बोली लगाने वाले भी वो ही थे, जो कभी झोली फैला कर माँगा करते थे!! Er kasz