कीसी रोज फुरसत मिले तो, आना हमारी महफिल में
हम शायरी नहीं, दर्दे ए इश्क सुनाते है

तपन सूरत में होता है तपना सबको पड़ता है
कसूर आंखों का होता है तड़पना दिल को पड़ता है

बहुत है मेरे मरने पर रोने वाले मगर
तलाश उसकी है जो मेरे रोने पर मरने की बात कह दे।

तुम बेवफा नहीं यह तो धड़कनें भी कहती हैं,
अपनी मजबूरियों का एक पैगाम तो भेज देते..!

छेड़कर जमानेभर की लड़कियों को रोया वो रातभर
जिस रोज घर उसके बिटिया ने जन्म लिया

न कहा करो हर बार की हम छोङ देंगे तुमको
कयोंकि न हम इतने आम हैं न ये तेरे बस की बात है

अक्सर जीनहे हम सबसे ज्यादा प्यार करते हैं.....
उनही पर सबसे ज्यादा गुस्सा करते हैं....

यूँ तो मुझे बदनामी अपनी अच्छी नही लगती
मगर लोग तेरे नाम से छेड़ें तो बुरा नही लगता

गुज़ारिशें थक न जायें कहीं मिन्नते करते करते
कभी तो दुआ की तरह आके तू थाम ले मुझे

मेरे दिल की गहराई में जब डूब जाओगी तुम
मेरा प्यार पाकर के दुनिया को भूल जाओगी तुम

अगर कुछ सीखना है तो आँखो को पढना सीख लो
वरना लफ़्ज़ों के मतलब तो हजारों निकलते हैं…

दिखाने के लिए तो हम भी बना सकते हैं ताजमहल
मगर मुमताज को मरने दे हम वो शाहजहाँ नही

तेरे बिना रानी मेरा जीना मुमकिन लगता है
तू आती है जब सपनों में सब कुछ हसीन लगता है

न शिकायतें न सवाल है कोई आसरा न मलाल है
तेरी बेरुखी भी कमाल थी मेरा जब्त भी कमाल है

तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना
हम जान तो दे देते हैं मगर जाने नहीं देते