रात पूरी जाग कर गुजारूं तेरी खातिर
एक बार कह कर तो देख मुझे भी तेरे बिना नींद नही आती

न छेड़ किस्सा-ए-उल्फ़त बड़ी लम्बी कहानी है
मैं ज़माने से नहीं हारा बस किसी की बात मानी है

हम आज भी शतरंज़ का खेल अकेले ही खेलते हे
क्युकी दोस्तों के खिलाफ चाल चलना हमे आता नही

मैं तेरे नसीब की बारिस नहीं जो तुज पे बरस जाऊ
तुझे तक़दीर बदल नि होगी मुझे पाने के लिए

रफ़्ता रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामाँ हो गए
पहले जाँ फिर जान-ए-जाँ फिर जान-ए-जाना हो गए

तुम गरदन जुकाने की बात करते हो
हम वौ है जो आंख उठाने वालो की गरदन पऱसाद मै बाट देते है

माना के तुम हसींन हो तुम्हे हक है शरारत का
किसी की जान पर बन जाये शरारत युँ नहीं करते.

कल पत्थर से टकराया तो, तूफ़ान-ऐ-सागर बन गया
जख्म खाया प्यार में तो, नाम मेरा आशिक बन गया

एक तेरे सिवा हम किसी और के कैसे हो सकते है
तु खुद ही सोच के बता तेरे जैसा कोई और है क्या

रिश्ता दिल से होना चाहिए शब्दों से नहीं
नाराजगी शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं

बाग में टहलते हुये एक दिन, जब वो बेनकाब हो गए
जितने पेड़ थे बबूल के सब के सब गुलाब हो गए

यह भी अच्छा है की हम किसी को अच्छे नहीं लगते
चलो कोई रोयेगा तो नहीं हमारे मरने के बाद...

मोहब्बत उस से नहीं की जाती जो खूबसूरत हो
खूबसूरत वो होता है जिस से मोहब्बत हो जाती है

जिस दिन आपने अपनी सोच बड़ी कर ली साहेब
बड़े बड़े लोग आपके बारे मे सोचना शुरू कर देंगे

अपने दिल को मेरे दिल से लगा कर देख
अगर तेरी धडकन ना बढ जाये तो मेरी मोहब्बत ठुकरा देना