erang hai har rang tuj bin
tu saang hai to har rang hai har din

देख इतना कि नज़र लग ही जाये मुझे
अच्छा लगता है तेरी नज़र से मर जाना

उनकेगोरे गाल पे तिल है कमाल का
उनके लिये हजारों का दिल दिवाना है जनाब का

तेरी एक झलक में हम खुद को भूला बैठे कसम से
रोज़ तु आईने में खुद को कैसे देखती होगी

उसकी ये मासूम अदा मुझको बेहद भाती है
वो मुझसे नाराज़ हो तो गुस्सा सबको दिखाती है

हम ख़ुशबू जैसे लोग है
बस बिखरे-बिखरे रहते हैं
er kasz

कितनी मासूम सी तम्मना है
नाम अपना तेरी ज़ुबां से सुनु

आपकी सादगी पे क़त्ल-ऐ-आम हुए जाते है
तब क्या क़यामत होगा जब आप सवंर कर आओगे

आज कुछ और नहीं बस इतना सुनो
मौसम हसीन है लेकिन तुम जैसा नहीं

उन्हें ज़रूरत नही सजने संवरने की औरों की तरह
उनपे जचती है हया एक जेवर की तरह

मुस्कुरा के देखो तो सारा जहाँ रंगीन है
वर्ना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है
er kasz

सुना है खुदा के दरबार से कुछ फ़रिश्ते फरार हो गए
कुछ तो वापस चले गए और कुछ हमारे यार हो गए
Er kasz

Kuch to batt hogi mere shayri ke alfazo me.
.yu hi to nahi duniyan meri shayri ko apne status lagati hai ....er kasz

तेरी आँखों से गुफ्तगू करके
मेरी आँखों ने बोलना सीख लिया

आज टूटेगा गुरूर चाँद का बस तुम देखना यारो
आज मेने उनसे छत पर आने को कहा है