जब से तेरी तस्वीर को देखा है किताबों में
तब से तुम आने लगी हो, मेरे ख्वाबों में

कौन कहता है कि मैं खूबसूरत शायरी लिखता हूँ
खूबसूरत तो वो लोग है जो इसे पसन्द करते हैं

तू और मै जैसे
अफीम और तलब

मुझे मिल गई है मुहब्बत की मंजिल
कोई पूछ ले मेरे हम सफ़र से

मेरे बारे में इतना मत सोचो जन्नत में रहता हु मन्नत में नहीं।

जलन जन्नत को भी होती तो होगी
दुआओ में तुम्हें जब मांगता हूँ मै

न रख इतना गुरूर अपने नशे में ए शराब
तुझसे ज्यादा नशा रखती हैं आँखे किसी की

आग लगाना मेरी फितरत में नही है
मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसूर
Er kasz

फैसले से पहेले कैसे मान लूं हार क्योंकी
वक्त अभी जीता नहीँ और मैं अभी हारा नही
er kasz

उसने हर नशा लाकर सामने रख दिया और कहा
सबसे बुरी लत कोैनसी है मैंने कहा तेरे प्यार की

बुलंदी की उड़ान पर हो तो जरा सब्र रखो
परिंदे बताते हैं आसमान में ठिकाने नहीं होते
er kasz

वाकिफ नही वो इस दीवाने की मोहब्बत से
हम रुख हवाओ का मोड देते है उसकी जुल्फो के हिलने से पहले

तेरी आँखों से गुफ्तगू करके
मेरी आँखों ने बोलना सीख लिया

लफ़्ज़ अल्फ़ाज़ कागज़ और किताब
कहाँ कहाँ नहीं रखता तेरी यादों का हिसाब
er kasz

गुलाम हूँ अपने घर के संस्कारो का वरना
लोगो को उनकी औकात दिखाने का हुनर आज भी रखता हूँ
er kasz