दिल तोडना इन हसीनो को खूब आता है
नजर का तीर भी दिल पर चलाना खूब आता है
दिल तोडना इन हसीनो को खूब आता है
नजर का तीर भी दिल पर चलाना खूब आता है
निंदा तो उसी की होती है जो जिंदा है
मरे हुए कि तो बस तारीफ ही होती हैं
हुस्न वालो से कह दो ना निकला करे बहार
देखने वालों का ईमान चला जाता है
वो ढल रहा है तो ये भी रंगत बदल रही है
ज़मीन सूरज की उँगलियों से फिसल रही है
er kasz
कमाल का ताना देती है वो अक्सर मुझे
कि, लिखते तो खूब हो कभी समझा भी दिया करो
er kasz
पढ़ तो लिए है मगर अब कैसे फेंक दूँ
खुशबू तुम्हारे हाथों की इन कागज़ों में जो है
नज़र ए बाद से बचना है तो कही और चले जा
मैं तुझे देखता हूँ तो पलके झपकती ही नहीं
अगर गहराई है तो चल डूबा दे मुझको,
समन्दर तो नाकाम रहा है, अब तेरी आँखों की बारी|
बहुत रोई होगी वो खाली कागज देखकर
खत मे पूँछा था उसने जिंदगी कैसे बीत रही है
Er kasz
क्या हसीन इत्तेफाक़ था तेरी गली में आने का
किसी काम से आये थे किसी काम के ना रहे
जितना आज़मा सकते हो आज़माओ सब्र मेरा
हम भी देखें हम टूट कर कब तलक बिखरते हैं
er kasz
तुम्हारे होठों पे लिखना उधार रहा
दिल दिमाक पर तुम्हारा ओ खुबसूरत तील सवार रहा
खुशबू क्यूँ न आये मेरी बातों से यारो
मैंने बरसों से एक ही फूल से मोहोब्त्त की है
यहा पब्लिक मेरी स्टेटस की दिवानी हो रही हैं
और वो पागल कहती है कहाँ से लाता है ये
एक तेरे सिवा हम किसी और को कैसे चाह सकते हैं
तू खुद ही सोच तेरे जैसा कोई और है क्या