जब सब तेरी मर्ज़ी से होता है..
तो ए खुदा ये बन्दा गुन्हेगार कैसे हो गया..

मेरे अपने कहीं कम न हो जाएँ
इस डरसे मुसीबत में किसी को आजमाता नहीं
Er kasz

मंज़िलें तेरे अलावा भी कई है लेकिन
ज़िन्दगी और किसी राह पे चलती ही नहीं

चैन से मरने भी नहीं देता है ये ज़माना
इसलिये मैंने भी जीने की कसम खाई है

हर मंजिल तुम हो मेरी हर ख़ुशी तुम हो
ज्यादा क्या कहूं मेरी जिंदगी तुम हो

जब वक़्त करवट लेता हैं ना दोस्तों
तो बाजियाँ नहीं, जिंदगियाँ पलट जाती है

वक्त के साथ कितना कुछ बदल जाता है !
चेहरे भूल जाते हैं फिगर याद रह जाता है!!Er kasz

अब तो आँखों से भी जलन होती हैं मुझे
खुली हो तो तलाश तेर बंद हो तो ख्वाब तेरे

आखोँ में तेरे सपने होठों पे तेरी बात
ऐ दिन तो कट जाता है गुजरती नहीं रात✍ Er kasz

रात गुज़री है तेरी यादों के साये में..
सुबह से तेरे ख़्वाबों में उलझा हूँ..!! Er kasz

पूछ कर मेरा पता बदनामिया मत मोल ले
ख़त किसी फूटपाथ पर रख दे मुझे मिल जायेगा

जमीन के ऊपर मोहब्बत से रहना सीखलो
वर्ना जमीन के अंदर सुकुन से नही रह पाओगे

क्यों याद करेगा कोई बेवजह मुझे ऐ खुदा,
लोग तो बेवजह तुम्हे भी याद नहीं करते..

हर रात जान बूझकर रखता हूँ दरवाज़ा खुला...
शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले.... Er kasz

कोई और गुनाह करवा दे मुझ से मेरे खुदा
मोहब्बत करना अब मेरे बस की बात नहीं
er kasz