मेरे सारे जज्बात बस शायरी में सिमट के रह गए,
तुझे मालूम ही नही हम तुझसे क्या क्या कह गए.
er kasz!
मेरे सारे जज्बात बस शायरी में सिमट के रह गए,
तुझे मालूम ही नही हम तुझसे क्या क्या कह गए.
er kasz!
☄एक बार भूल से ही कहा होता कि हम किसी और के
भी है
.
खुदा कसम हम तेरे साये से भी दूर रहते.. ☄ Er kasz
जो झुकते हैं ज़िन्दगी में वो बुज़दिल नही होते
यह हुनर होता हैं उनका हर रिश्ता निभाने का
er kasz
मुस्कुरा के देखो तो सारा जहाँ रंगीन है
वर्ना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है
er kasz
पुछा ऊसने मुझे ये शायरी लीखना कब शुरू कीया
मेने कहा पगले जबसे तुने फासला बढाना शुरू कीया
दुकानें उसकी भी लुट जाती है अक्सर हमने देखा है
जो दिन भर में न जाने कितने ताले बेच देता
er kasz
मेरे जो दोस्त हैं उनके लिए मैं ताकत हूँ
और जो मेरे दुश्मन हैं उनके लिए मैं बहुत बड़ी आफत हूँ
तुम हक़ीक़त-ए-इश्क़ हों या फ़रेब मेरी आँखों का,
न दिल से निकलते हो न मेरी ज़िन्दगी में आते हो
लड़की उसको प्यार करती हैं, जो उसको छोड़ देता है.
और उसको छोड़ देती हैं जो उनको प्यार करता हैं.
जब ख्वाबों के रास्ते ज़रूरतों की ओर मुड़ जाते हैं.
तब असल ज़िन्दगी के मायने समझ में आते हैं...!
अगर परछाईयाँ कद से और बातें औकात से बड़ी होने लगे तो
समझ लीजिये कि सूरज डूबने ही वाला है
er kasz
झूठ बोलने का रियाज़ करता हूँ सुबह और शाम मैं
सच बोलने की अदा ने हमसे कई अजीज़ यार छीन लिये
Er kasz
गुज़र गया वो वक़्त जब हम तुम्हारे तलबगार हुआ करते थे.
अब ज़िन्दगी भी बन जाओ तो क़ुबूल नहीं करेंगे.
तेरे गुरुर को देखकर तेरी तमन्ना भी छोड दी हमने
जरा हम भी तो देखे कौन चाहता है तुझे मेरी तरह
er kasz
इन्सान कहता है कि पैसा आये तो हम कुछ करके दिखाये
और पैसा कहता हैं कि आप कुछ करके दिखाओ तो मैं आऊ